मान सरकार ने बनाया 2025 को किसानों की खुशहाली का साल: पंजाब सरकार की ऐतिहासिक पहल से पंजाब के खेतों में दिखे ये खास बदलाव *
- By Gaurav --
- Sunday, 28 Dec, 2025
Mann Government has declared 2025 as the year of prosperity for farmers:
मुख्यमंत्री श्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार की पहलकदमों के कारण वर्ष 2025 में पंजाब के कृषि क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव आए हैं। इस वर्ष प्रदेश सरकार द्वारा गन्ने की फसल के भाव में की रिकॉर्ड वृद्धि, फसली विविधता अभियान तथा टिकाऊ प्रथाओं के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता के कारण प्रदेश में कृषि खुशहाली के लिए एक नया मील का पत्थर स्थापित किया गया है।
पंजाब के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने इस वर्ष की महत्वपूर्ण उपलब्धियों का जिक्र करते हुए बताया कि प्रदेश सरकार का उद्देश्य किसानों को सशक्त बनाने के साथ-साथ पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि हमारी योजनाएं मिसाली बदलाव लायी है तथा गन्ने की कीमत में की रिकॉर्ड बढ़ोतरी किसानों की कड़ी मेहनत के सम्मान के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार ने देश में गन्ने के लिए सबसे अधिक 416 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से स्टेट एग्रीड प्राइस (एस.ए.पी.) देने की घोषणा की है जो पिछले वर्ष से 15 रुपये अधिक है। इस कदम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रदेश के गन्ना उत्पादकों को देश भर में सबसे अधिक कीमत दी जाए।
प्रदेश सरकार के अथक प्रयासों के कारण खरीफ सीजन के दौरान पराली जलाने की घटनाओं में 53 प्रतिशत कमी आई है। इस वर्ष पराली जलाने के मामले घटकर 5,114 रह गए जो वर्ष 2024 में 10,909 थे। सरकार द्वारा वर्ष 2018 से अब तक किसानों को 1.58 लाख से अधिक फसली अवशेष प्रबंधन (सी.आर.एम.) मशीनें सब्सिडी पर प्रदान की गई हैं। इस वर्ष 16,000 से अधिक मंजूरी पत्र जारी किए गए हैं।
इस वर्ष फसली विविधता में भी तेजी से वृद्धि हुई है जिसके तहत कपास की खेती के अंतर्गत क्षेत्र 20 प्रतिशत बढ़कर 1.19 लाख हेक्टेयर हो गया तथा किसानों को पी.ए.यू. द्वारा सिफारिश बी.टी. कॉटन बीजों पर 33 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। 52,000 से अधिक किसानों ने बीज सब्सिडी का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण करवाया है, जो सरकारी पहलकदमियों में उनका दृढ़ विश्वास को दर्शाता है।
कृषि मंत्री ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा भूमिगत जल बचाने के लिए लाई गई धान की सीधी बिजाई (डी.एस.आर.) वाली तकनीक, जिसके तहत किसानों को 1,500 रुपये प्रति एकड़ की वित्तीय सहायता दी जाती है, को किसानों द्वारा भरपूर समर्थन दिया गया है। इस वर्ष इस तकनीक के अंतर्गत क्षेत्र में 17 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2024 में यह क्षेत्र 2.53 लाख एकड़ था, जो इस वर्ष बढ़कर 2.96 लाख एकड़ हो गया है।
बासमती की खेती के अंतर्गत क्षेत्र में भी वृद्धि दर्ज की गई है, जो पिछले वर्ष के 6.81 लाख हेक्टेयर से बढ़कर इस वर्ष 6.90 लाख हेक्टेयर हो गया है। यह वृद्धि इस फसल को पंजाब के किसानों के लिए एक लाभदायक विकल्प के रूप में उजागर करती है, जो घरेलू तथा निर्यात में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
फसली विविधता के लिए किए प्रयासों के तहत वर्ष 2025 को ऐसे वर्ष के रूप में याद किया जाएगा जब पंजाब ने धान के फसली चक्र को तोड़ने के लिए ठोस कदम उठाए। प्रदेश के छह जिलों बठिंडा, संगरूर, गुरदासपुर, जालंधर, कपूरथला तथा पठानकोट में धान से निकालकर खरीफ की मक्की के अंतर्गत क्षेत्र लाने के लिए शुरू किए गए पायलट प्रोजेक्ट के सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं। इन जिलों में 11,000 एकड़ से अधिक क्षेत्र में धान की बजाय किसानों द्वारा खरीफ की मक्की की खेती की गई, जिसके तहत मक्की की खेती करने वालों को 17,500 रुपये प्रति हेक्टेयर के हिसाब से सहायता दी गई। इसके अलावा आर.के.वी.वाई. के अंतर्गत 10,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की पूरक सहायता दी गई तथा एसएएस नगर तथा रोपड़ जिलों में 100 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से म